Monday, June 22, 2009

सवेदनशीलता

जो संवेदनशील हैं, प्रायः उन्हें कमजोर मान लिया जाता हैं। जो अपने को सबल समझते हैं, वे प्रायः, असंवेदनशील होते हैं। कुछ लोग स्वयं के प्रति संवेदनशील होते हैं पर औरो के प्रति नहीं। और कुछ लोग दुसरो के प्रति संवेदनशील होते हैं पर खुद के प्रति नहीं। जो लोग केवल अपने प्रति संवेदनशील होते हैं, वे प्रायः औरो को दोष देते हैं। जो केवल दुसरो के प्रति संवेदनशील होते हैं, वह स्वयं को असहाय और दीन समझते हैं. उनकी सोच रहती हैं – बेचारा में।

कुछ लोग इस निष्कर्ष पर पहुचते हैं की संवेदनशील होना ही नहीं चाहिए क्योंकि संवेदनशीलता से पीडा होती हैं ( और पीडा होने का अर्थ, वे कमजोर होना समझते हैं)। इसलिए वे अपने आप को औरो से दूर रखने लगते हैं परन्तु यदि तुम सवेदनशील नहीं हो तो तुम जीवन के अनेक सूक्ष्म अनुभवों को खो दोंगे, जैसे अंतर्ज्ञान, सोंदर्य और प्रेम का उल्लास। यह पथ और यह घ्यान तुमको सबल भी बनाता हैं और संवेदनशील भी। असंवेदनशील व्यक्ति प्रायः अपने ही भीतर की कमजोरियों को नहीं पहचान पाते। और जो संवेदनशील होते हैं, वे अपनी ताकत को नहीं पहचान पाते। उनकी संवेदनशीलता ही उनकी ताकत हैं। संवेदनशीलता ही आत्मबल हैं बशर्ते तुम इस बात को समझ पाओ, बशर्ते तुम अपनी संवेदनशीलता से सीख पाओ।
श्री श्री रवि शन्कर

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