विचारों की लय पर
थिरकती है जिंदगी,
अपने ही हाथों से सँवरती है जिंदगी,
पेड़ टिकता है
जड़ो पर,
पत्तियाँ तो आनी जानी है,
गायक खो जाते है
स्वर गुंजते रहते है,
लेखक गुम हो जाते है
शब्द पिछे रह जाते है,
हीर-रांझे, रोमियों-जुलिएट
आते है चले जाते है
बस नाम भर रह जाते है,
इसी तरह दौर आते है
और जाते है
बहाव चलता रहता है,
अन्त यात्रा की कोशिश
तो हर चोले दर चोले
चलती है,
पर विचारों की लय पर
थिरकती है जिंदगी
अपने ही हाथों
सँवरती है जिंदगी.
(अमित भटनागर अमोघ फाउंडेशन के सीइओ व इमोशनल इंटेलिजेंस के गुरु हैं
ईमेल : amitbhatnagar@amoghfoundation.org
वेबसाइट : www.amoghfoundation.org
अपने ही हाथों से सँवरती है जिंदगी,
पेड़ टिकता है
जड़ो पर,
पत्तियाँ तो आनी जानी है,
गायक खो जाते है
स्वर गुंजते रहते है,
लेखक गुम हो जाते है
शब्द पिछे रह जाते है,
हीर-रांझे, रोमियों-जुलिएट
आते है चले जाते है
बस नाम भर रह जाते है,
इसी तरह दौर आते है
और जाते है
बहाव चलता रहता है,
अन्त यात्रा की कोशिश
तो हर चोले दर चोले
चलती है,
पर विचारों की लय पर
थिरकती है जिंदगी
अपने ही हाथों
सँवरती है जिंदगी.
(अमित भटनागर अमोघ फाउंडेशन के सीइओ व इमोशनल इंटेलिजेंस के गुरु हैं
ईमेल : amitbhatnagar@amoghfoundation.org
वेबसाइट : www.amoghfoundation.org
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